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#गोण्डा : लाखों के पैकेज पर नहीं, फूलों की खेती पर दिल आया
@Gonda: कुछ नया करने की चाह ने #Btech करने के बाद लाखों रुपए के पैकेज की नौकरी को ठुकराकर वैभव पांडे ने पूर्वांचल में पाली हाउस की स्थापना कर डाली जिसमें वह फूलों की खेती कर रहे हैं।
एमिटी विश्वविद्यालय से आईटी में बीटेक की डिग्री प्राप्त करने के बाद गोण्डा निवासी वैभव पांडे को आईसी इन्फोटेक नोएडा में लाखों रुपए के पैकेज की नौकरी मिल रही थी। कुछ नया करने की चाह में उन्होंने नौकरी ठुकरा दी और #internet पर कुछ नया खोजते रहे।
कुछ समय बाद उन्हें फूलों की खेती समझ में आई लेकिन समस्या यह थी कि इसके बारे में उन्हें प्रैक्टिकल जानकारी नहीं मिल पा रही थी।
देवा से निकली राह : कहते हैं कि जहां चाह होती है वहां राह निकल ही आती है। #Barabanki जनपद के देवा ब्लाक में पाली हाउस में फूलों की खेती करने वाले मोइनुद्दीन सिद्दीकी के बारे में इंटरनेट पर ही जानकारी मिली। इस जानकारी के आधार पर वैभव पांडे मोइनुद्दीन सिद्दीकी से जाकर मिले। मोइनुद्दीन सिद्दीकी ने उन्हें पूरी प्रक्रिया समझाई और उनके सहयोग से इन्होंने फूलों की खेती करने का मन बना लिया।
इधर वैभव पांडेय के पिता बच्चाराम पाण्डेय भी आरटीओ ऑफिस से वरिष्ठ लिपिक के पद से सेवानिवृत्त हो चुके थे और खेती कर रहे थे। पिता के सहयोग से वैभव ने गोण्डा-बहराइच मार्ग पर गोण्डा से 8 किलोमीटर दूर मुंडेरवा कला नामक ग्राम में पाली हाउस की स्थापना कर दी जिसमें पिता और पुत्र दोनों लगे रहते हैं।
पूर्वांचल का पहला पाली हाउस : यह पाली हाउस देवीपाटन मंडल ही नहीं बल्कि पूर्वांचल का पहला पाली हाउस है। #vaibhavpandey ने बताया कि वह अगस्त 2017 में मोइनुद्दीन से मिले थे और जनवरी 2018 में पाली हाउस का स्ट्रक्चर बनवाना शुरू कर दिया। फरवरी के अंतिम सप्ताह में पौधे लगा दिए गए।
उन्होंने बताया कि यह पौधे बंगलुरु से फ्लाइट से यहां मंगाए गए हैं। बंगलुरु के फ्लोरेंस फ्लोरा नामक कंपनी से 6500 पौधे लाये गये। पौधों की कीमत और भाड़े सहित लगभग सवा दो लाख रुपए का खर्चा आया। 1000 वर्ग मीटर में पाली हाउस बनाकर पौधों की रोपाई कर दी गई है और अब उनमें फूल आने शुरू हो गए हैं। श्री पांडे ने बताया कि अभी वह केवल जरबेरा के फूलों की ही खेती कर रहे हैं जिसकी बिक्री लखनऊ में की जानी है।
पाली हाउस में पौधों की सिंचाई ड्रिप विधि से और फागर विधि से की जाती है। पाली हाउस की पॉलिथीन को ठंडा करने के लिए स्प्रिंकलर विधि से ऊपर से पानी डाला जाता है। वैभव और उनके पिता ने बताया कि जरबेरा के फूलों की खेती सफल होने के बाद वे अन्य फूलों की खेती भी करेंगे।