Gonda Info : Kaiserganj Loksabha Seat का इतिहास – संसदीय सीट कैसरगंज के गठन के बाद से चुनाव तो 15 बार हुए हैं जिसमें अब तक सबसे अधिक पांच बार सपा का कब्जा रहा है।
तीन बार कांग्रेस ने बाजी मारी तो दो बार भाजपा जीत का परचम लहराने में सफल रही है। वहीं तीन बार भारतीय जनसंघ प्रत्याशी भी इस सीट का प्रतिनिधित्व कर चुका है।
कैसरगंज संसदीय क्षेत्र का गठन 1952 में हुआ था। पहली बार हुए चुनाव में भारतीय जनसंघ की शकुंतला नैय्यर को जीत हासिल हुई थी। इसके बाद 1957 में स्वतंत्र पार्टी के भगवानदीन मिश्रा व 1962 में बसंत कुमारी स्वतंत्र पार्टी से सांसद चुनी गईं।
1967 में हुए चुनाव में एक बार फिर बाजी भारतीय जनसंघ की प्रत्याशी शकुंतला नैय्यर ने मारी। श्रीमती नैय्यर 1971 में भी जनसंघ से सांसद चुनी गईं। 1977 के लोकसभा चुनाव में रुद्रसेन चौधरी ने जनता पार्टी के प्रत्याशी के रूप में जीत का परचम लहराया।
1980 से कांग्रेस की एंट्री : लोकसभा चुनाव 1980 से इस सीट पर कांग्रेस ने एंट्री मारी। 1980 के चुनाव में इण्डियन नेशल कांग्रेस के राना वीर सिंह सांसद चुने गए। इसके बाद 1984 व 1989 दोनों लोकसभा में राना वीर सिंह ने ही कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की।
राम लहर में जीती थी भाजपा : कैसरगंज लोकसभा सीट रामलहर 1991 में भाजपा के खाते में आ गई। इस सीट पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल करने में कामयाब रहे।
1996 से लगातार पांच बार सपा का कब्जा : इस सीट पर लगातार पांच बार सपा जीत हासिल करने में कामयाब रही। 1996, 1998, 1999, 2004 में बेनी प्रसाद वर्मा जीत हासिल करने में सफल रहे। वहीं 2009 में सपा प्रत्याशी के रूप में बृजभूषण सिंह ने इस सीट पर जीत दर्ज की।
2014 में फिर से भाजपा की वापसी : रामलहर के बाद मोदी लहर में सपा छोड़कर भाजपा में आए बृजभूषण शरण सिंह एक बार फिर भाजपा प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की।
Kaiserganj Loksabha Seat : Fact File
इस संसदीय सीट में गोण्डा जिले की तीन विधानसभा व बहराइच की दो विधानसभा सीटें शामिल हैं। गोण्डा की कटरा, करनैलगंज व तरबगंज विधानसभा जबकि बहराइच की पयागपुर व कैसरगंज विधानसभा सीटें शामिल हैं।